India vs Pakistan Handshake Snub: Full Story Explained

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India vs Pakistan Handshake Snub
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भारत बनाम पाकिस्तान हैंडशेक विवाद: टॉस का वह पल जिसने पूरे मैच को ढक लिया

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता बेमिसाल जुनून, भारी दबाव और ऐतिहासिक पलों का रंगमंच है। 21 सितंबर 2025 को एशिया कप के सुपर फोर मुकाबले में, सुर्खियों में कोई शानदार कवर ड्राइव, घातक यॉर्कर या अद्भुत कैच नहीं था। बल्कि चर्चा में आया एक “न हो पाने वाला” पल। एक ऐसी खामोशी जिसने बहुत कुछ कह दिया। टॉस पर भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव और पाकिस्तानी कप्तान सलमान अली आघा के बीच न हुआ हैंडशेक। यह क्षण तुरंत वायरल हो गया, इंटरनेट पर छा गया और दुनियाभर में प्रशंसकों को बाँट दिया।

यह कथित अपमानजनक इशारा टूर्नामेंट का सबसे चर्चित प्रसंग बन गया। लेकिन इसे केवल खेल भावना की एक चूक कहकर खारिज करना बहुत बड़ी भूल होगी। यह घटना दरअसल दशकों से चली आ रही खेल परंपराओं, पुराने मुकाबलों और इस प्रतिद्वंद्विता को परिभाषित करने वाली मानसिक जंग से जुड़ा धागा है।

इस गहन विश्लेषण में हम भारत बनाम पाकिस्तान हैंडशेक विवाद की हर परत को खोलेंगे। हम तत्कालीन संदर्भ, 2023 वर्ल्ड कप की जड़ों तक जाकर, इस तनाव की पृष्ठभूमि, मनोवैज्ञानिक पहलुओं, विशेषज्ञों की राय और भविष्य के असर पर चर्चा करेंगे।


आखिर हुआ क्या? टॉस का मिनट-दर-मिनट ब्यौरा

मंच सजा था कोलंबो के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में। दोनों देशों के मुकाबले का इंतज़ार हवा में साफ महसूस हो रहा था। परंपरा के मुताबिक दोनों कप्तान टॉस के लिए मैदान में आए, मैच रेफरी उनके साथ थे।

होस्ट रवि शास्त्री सिक्का उछालने के लिए तैयार खड़े थे। कैमरे हर भाव को कैद कर रहे थे। और फिर हुआ तनाव का दृश्य।

  • एप्रोच (Approach): जब सूर्यकुमार यादव और सलमान अली आघा आमने-सामने आए, कोई औपचारिक अभिवादन नहीं हुआ। सामान्य तौर पर हल्की-फुल्की बातचीत या हैंडशेक होता है, लेकिन यहाँ दोनों ने आँख मिलाने से भी परहेज़ किया।
  • स्नब (Snub): सिक्का उछलने और औपचारिकताओं के बाद, शास्त्री ने माहौल को हल्का करने के लिए पाकिस्तानी कप्तान से पूछा – “मूड कैसा है?” सलमान अली आघा ने हल्की मुस्कान दी, लेकिन सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया।
  • वॉक बैक (Walk Back): सबसे स्पष्ट संकेत वापसी के समय दिखा। सूर्यकुमार यादव ने सलमान अली आघा को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया। न हाथ मिलाया, न देखा, न कोई इशारा किया। पाकिस्तानी कप्तान भी बिना किसी प्रतिक्रिया के चले गए।

यह भूल नहीं थी। फुटेज ने साफ दिखाया कि सूर्यकुमार के पास अवसर था लेकिन उन्होंने जानबूझकर हाथ नहीं बढ़ाया। यही पल मीडिया और सोशल मीडिया पर बहस का ईंधन बन गया।


विवाद की जड़: 2023 तक लौटते हुए

वर्तमान को समझने के लिए अतीत देखना ज़रूरी है। दोनों कप्तानों के बीच की ठंडक नई नहीं है। इसकी जड़ 2023 वनडे वर्ल्ड कप में है।

अहमदाबाद में हुए ग्रुप मैच में भारत की जीत के बाद दोनों टीमों के बीच परंपरागत पोस्ट-मैच हैंडशेक हुआ। लेकिन वीडियो में साफ दिखा कि सलमान अली आघा ने सूर्यकुमार यादव का हाथ थामने से इनकार कर दिया, जबकि SKY हाथ बढ़ाए खड़े थे।

उस पल ने भारतीय खेमे और प्रशंसकों के मन में गहरी छाप छोड़ी। भले ही बाद में खबरों से वह मुद्दा गायब हो गया, परंतु भुलाया नहीं गया।

अब 2025 एशिया कप टॉस पर सूर्यकुमार का यह व्यवहार उसी घटना का जवाब प्रतीत होता है। इस “टिट-फॉर-टैट” ने प्रतिद्वंद्विता को व्यक्तिगत स्तर तक पहुँचा दिया।


खेल से बढ़कर: हाई-स्टेक्स स्पोर्ट्स में स्नब का मनोविज्ञान

एक साधारण हैंडशेक इतना अहम क्यों है? खासकर भारत-पाकिस्तान मुकाबले में, जहाँ इतिहास और राजनीति का बोझ साथ होता है।

  • साइकोलॉजिकल वॉरफेयर: विरोधी को अनदेखा करना मानसिक बढ़त हासिल करने का तरीका है। यह संदेश है – “तुम मेरी नज़र में काबिल नहीं।” टीम को एकजुट करने और विपक्षी को अस्थिर करने की चाल।
  • स्पिरिट ऑफ क्रिकेट का उल्लंघन: क्रिकेट हमेशा खुद को ऊँचे मानकों पर रखता है। मैच के बाद हैंडशेक सम्मान का प्रतीक है। इसे तोड़ना खेल भावना पर चोट है।
  • प्रशंसकों और मीडिया को संदेश: कप्तान जानते हैं कि कैमरे उन पर हैं। यह इशारा समर्थकों के लिए शक्ति का प्रतीक बन सकता है और विपक्षी फैंस को उकसाता है।

एक शोध पत्र (International Journal of Sport and Exercise Psychology) में बताया गया है कि खिलाड़ी अक्सर “instrumental aggression” का उपयोग करते हैं – यानी शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक खेल, जैसे व्यंग्य या मौन अपमान। यह हैंडशेक विवाद उसी श्रेणी में फिट बैठता है।


विशेषज्ञों की राय: बँटे हुए मत

  • आलोचक: कई दिग्गजों ने इसकी निंदा की। उनका कहना है कि कप्तान आदर्श होते हैं और खेल की परंपराओं को निभाना उनकी ज़िम्मेदारी है।
  • व्यावहारिक: कुछ ने सूर्यकुमार के कदम का समर्थन किया, इसे 2023 के अपमान का जवाब बताया।
  • तटस्थ: हर्षा भोगले जैसे जानकारों ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण तो कहा लेकिन दबावपूर्ण माहौल का परिणाम माना।

मतभेद यह साबित करते हैं कि इसका सीधा जवाब नहीं है।


ICC की भूमिका: क्या कदम उठाएगा?

ICC के नियम “स्पिरिट ऑफ गेम” और “खेल की बदनामी” के खिलाफ हैं। तकनीकी रूप से यह स्नब इन नियमों के अंतर्गत आ सकता है।

लेकिन ऐसे इशारों को साबित करना कठिन है। जुर्माना या चेतावनी? मुश्किल सवाल।
सबसे संभावित कदम होगा – ICC दोनों टीमों को खेल भावना याद दिलाएगा, बिना किसी आधिकारिक कार्रवाई के।


प्रशंसकों की प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया का विस्फोट

जैसा अनुमान था, ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर मीम्स, वीडियो और बहस की बाढ़ आ गई।

  • भारतीय फैंस: कुछ ने SKY को “बॉस” कहा, #RespectEarnedNotGiven ट्रेंड कराया। वहीं कुछ ने निराशा जताई।
  • पाकिस्तानी फैंस: SKY को “childish” और “pathetic” बताया, 2023 की घटना का हवाला दिया।
  • न्यूट्रल फैंस: खेल के बजाय विवाद पर ध्यान जाने से खिन्न।

बड़ा चित्र: भारत-पाकिस्तान क्रिकेट पर असर

हैंडशेक विवाद इस बड़ी हकीकत की निशानी है कि इन दोनों देशों के मैच केवल खेल नहीं बल्कि भू-राजनीतिक घटनाएँ हैं।

एक छोटी-सी व्यक्तिगत घटना राष्ट्रीय सम्मान और अपमान का प्रतीक बन जाती है। तकनीकी कौशल जितना महत्वपूर्ण है, मानसिक खेल भी उतना ही।

लेकिन लगातार ऐसे विवाद खेल को ढक सकते हैं। क्रिकेट का असली सौंदर्य दबने का खतरा है।


निष्कर्ष: एक नए मोड़ पर प्रतिद्वंद्विता

21 सितंबर 2025 का टॉस इस बात के लिए याद रहेगा कि वहाँ शब्दों से अधिक मौन ने शोर मचाया।

सूर्यकुमार यादव और सलमान अली आघा का यह हैंडशेक विवाद अतीत, मनोवैज्ञानिक रणनीति और राष्ट्रवादी भावनाओं से जुड़ा जटिल प्रसंग है।

यह घटना क्रिकेट जगत के लिए आईना है – क्या “स्पिरिट ऑफ क्रिकेट” अब भी मायने रखता है? क्या सम्मान और उच्च-स्तरीय प्रतिस्पर्धा साथ चल सकते हैं?

जवाब आसान नहीं है। पर इतना निश्चित है: भारत-पाकिस्तान की प्रतिद्वंद्विता अब नए अध्याय में प्रवेश कर चुकी है—जहाँ जंग बल्ले-गेंद से ही नहीं बल्कि निगाहों और न बढ़ाए गए हाथों से भी लड़ी जाएगी।

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