ट्रंप का गाज़ा शांति प्रस्ताव: 20-बिंदु योजना का विस्तृत विश्लेषण
मध्य पूर्व, जो लंबे समय से संघर्ष और कूटनीतिक गतिरोध से जूझ रहा है, एक नाटकीय नए प्रस्ताव के केंद्र में आ गया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाज़ा युद्ध समाप्त करने के उद्देश्य से स्वयं-घोषित “20-बिंदु योजना” पेश कर वैश्विक राजनीतिक मंच पर वापसी की है। इस योजना को ज़ोरदार अंदाज़ और एक सख्त समयसीमा के साथ पेश किया गया, जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। इसकी प्रतिक्रियाएँ सतर्क आशावाद से लेकर सीधे इनकार तक फैली हुई हैं।
यह विश्लेषण सुर्ख़ियों से आगे बढ़कर ट्रंप की इस 20-बिंदु योजना का गहराई से अध्ययन करता है। हम इस प्रस्ताव की जटिलताओं, इसके पीछे की भू-राजनीतिक पृष्ठभूमि, हमास को दी गई 3-4 दिन की अल्टीमेटम और इसके इज़राइल, फ़िलिस्तीन और वैश्विक व्यवस्था पर संभावित प्रभावों की जांच करेंगे। यह केवल शांति प्रस्ताव नहीं है, बल्कि उच्च-स्तरीय कूटनीतिक दांव है जो क्षेत्र के भविष्य को पुनर्परिभाषित कर सकता है।
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योजना की उत्पत्ति: एक ट्रंप-शैली कूटनीतिक आक्रामकता
यह घोषणा अचानक नहीं हुई। यह महीनों के लंबे संघर्ष, विफल युद्धविराम और गाज़ा में भयंकर मानवीय संकट के बाद आई। अंतरराष्ट्रीय समुदाय कई प्रयासों के बावजूद कोई स्थायी समाधान खोजने में असफल रहा था। ऐसे माहौल में डोनाल्ड ट्रंप आगे आए, अपने “डिसरप्टर” और “डीलमेकर” की छवि का इस्तेमाल करते हुए।
यह योजना पारंपरिक कूटनीतिक माध्यमों (जैसे स्टेट डिपार्टमेंट) के बजाय सीधे ट्रंप के मीडिया-प्रभावी बयान के जरिए पेश की गई। यह उनकी राजनीतिक शैली से मेल खाती है: साहसी, एकतरफा और मीडिया के लिए आकर्षक। उन्होंने इसे “अंतिम प्रस्ताव” के रूप में पेश किया — या तो शांति स्वीकार करो या निर्णायक सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार हो जाओ।

3-4 दिन का अल्टीमेटम: दबाव की रणनीति
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह था कि ट्रंप ने हमास को “तीन से चार दिन” का सख्त समय दिया। चेतावनी दी कि यदि शर्तें नहीं मानी गईं तो “बहुत दुखद अंत” होगा।
- तत्काल दबाव बनाना: इस समयसीमा का मकसद था हमास को लंबी विचार-विमर्श प्रक्रिया से रोकना और तुरंत निर्णय लेने पर मजबूर करना।
- ज़िम्मेदारी स्थानांतरित करना: ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कहा कि यदि हिंसा जारी रहती है तो उसकी ज़िम्मेदारी केवल हमास की होगी।
- “दुखद अंत” की धमकी: यह वाक्य वास्तव में बड़े सैन्य हमले का संकेत था।
20-बिंदु योजना: बिंदुवार गहन विश्लेषण

1. सुरक्षा और निरस्त्रीकरण
- हथियार त्याग: हमास और अन्य गुटों को सभी हथियार और बुनियादी ढाँचा छोड़ना होगा।
- टनल नेटवर्क ध्वस्त करना: गाज़ा के “गाज़ा मेट्रो” यानी सुरंगों को नष्ट करने की मांग।
- अंतरराष्ट्रीय निगरानी बल: अरब देशों और संभवतः अमेरिका की निगरानी वाली बहुराष्ट्रीय सेना तैनात की जाएगी।
2. बंधक और क़ैदी विनिमय
- इज़रायली बंधकों की रिहाई: सभी इज़रायली बंधकों को तुरंत और बिना शर्त छोड़ा जाए।
- फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई: इसके बदले इज़राइल बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनी क़ैदियों को छोड़ेगा।
3. गाज़ा का शासन: हमास-उपरांत युग
- हमास सत्ता से बाहर: हमास को राजनीतिक शक्ति पूरी तरह छोड़नी होगी।
- नई सिविल प्रशासन: स्थानीय फ़िलिस्तीनी नेताओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से एक नया अंतरिम प्रशासन।
- PA की अस्पष्ट भूमिका: फ़तह-नेतृत्व वाली फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी की भूमिका स्पष्ट नहीं की गई।
4. पुनर्निर्माण और “डील ऑफ द सेंचुरी” की गूंज
- मार्शल प्लान फॉर गाज़ा: गाज़ा के पुनर्निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष।
- शर्तों पर आधारित सहायता: मदद केवल तभी मिलेगी जब हमास पूरी तरह निरस्त्रीकरण करेगा।
- क्षेत्रीय एकीकरण: गाज़ा को क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था से जोड़ने की योजनाएँ।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ: बंटी हुई दुनिया

- इज़राइल: इस योजना का स्वागत किया और इसे सुरक्षा लक्ष्यों के अनुरूप बताया।
- हमास: इसे “समर्पण दस्तावेज़” कहकर खारिज कर दिया।
- फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी: इसे वेस्ट बैंक और गाज़ा को अलग करने की चाल बताया।
- मिस्र, क़तर, सऊदी अरब: सतर्क प्रतिक्रियाएँ; सऊदी संतुलन साधने में लगी।
- ईरान: इसे “ग़ैरक़ानूनी” और “अमेरिका-इज़राइल की साज़िश” बताया।
- UN और EU: अल्टीमेटम आधारित दृष्टिकोण पर चिंता जताई और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का पालन करने को कहा।
आगे क्या होगा? संभावित परिदृश्य
- हमास स्वीकार करता है (कम संभावना): युद्धविराम, अंतरराष्ट्रीय बल की तैनाती और हमास का पतन।
- हमास इंकार करता है (सबसे संभावित): बड़े इज़रायली हमले और भारी जनहानि की आशंका।
- बातचीत बढ़ती है (डिप्लोमैटिक खेल): हमास समय खरीदने और शर्तों में बदलाव की कोशिश कर सकता है।
ऐतिहासिक संदर्भ: पिछली कोशिशों से अंतर
- ओस्लो समझौते: चरणबद्ध विश्वास-निर्माण प्रक्रिया थी, ट्रंप का प्लान सीधे अल्टीमेटम है।
- अरब शांति पहल: सामूहिक और सहमति-आधारित थी, जबकि ट्रंप की योजना एकतरफा अमेरिकी प्रस्ताव है।
- ट्रंप का 2020 “डील ऑफ द सेंचुरी”: लंबी अवधि की दो-राष्ट्र समाधान दृष्टि थी, जबकि यह योजना केवल हमास को हटाने पर केंद्रित है।
निष्कर्ष: अनिश्चित भविष्य की ओर
डोनाल्ड ट्रंप की यह 20-बिंदु योजना गाज़ा संघर्ष को नए और खतरनाक मोड़ पर ले आई है। यह योजना स्पष्ट है लेकिन हमास के लिए कोई सम्मानजनक राजनीतिक विकल्प नहीं छोड़ती। आने वाले दिन निर्णायक होंगे। या तो यह अल्टीमेटम शांति का रास्ता खोलेगा या और भी विनाशकारी युद्ध का द्वार।