Netanyahu Seeks Presidential Pardon Amid Charges

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नेतन्याहू ने ऐतिहासिक भ्रष्टाचार मामले में राष्ट्रपति से माफ़ी मांगी

एक नाटकीय और अभूतपूर्व राजनीतिक कदम में, इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने औपचारिक रूप से राष्ट्रपति इसाक हर्ज़ोग को माफी के लिए अनुरोध पत्र सौंपा है। यह अनुरोध तब आया है जब नेतन्याहू गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों पर चल रहे एक आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे हैं, जिससे इज़राइली राजनीतिक जगत में हलचल मच गई है और गंभीर संवैधानिक प्रश्न उठ खड़े हुए हैं।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति की ओर किया गया यह अपील न सिर्फ नेतन्याहू के लंबे राजनीतिक करियर के लिए बल्कि राष्ट्र के न्यायिक और राजनीतिक भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस लेख में हम इस अनुरोध के विवरण, मामले के मुख्य आरोपों, कानूनी इतिहास और इसके संभावित प्रभावों को समझेंगे।


औपचारिक माफी अनुरोध: अब तक क्या पता है

30 नवंबर 2025 को नेतन्याहू की कानूनी टीम ने यरूशलेम स्थित राष्ट्रपति निवास में औपचारिक माफी याचिका जमा की। आधिकारिक बयानों के अनुसार, यह अनुरोध विस्तृत है और यह तर्क देता है कि राज्य की एकता और सामाजिक स्थिरता बनाए رکھنے के लिए क्षमादान आवश्यक है।

अनुरोध के मुख्य बिंदु:

  • क्षमा का आधार: नेतन्याहू के वकील इस अनुरोध को दोष स्वीकार्य के रूप में पेश नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय वे इसे “जनहित” के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, यह तर्क देते हुए कि मुकदमों के चलते जारी राजनीतिक उथल-पुथल शासन व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही है।
  • अनुरोध का दायरा: क्षमा तीनों चल रहे मामलों — केस 1000, 2000 और 4000 — से जुड़े सभी संभावित आरोपों और भविष्य के फैसलों के लिए मांगा गया है।
  • समय: यह याचिका बेहद संवेदनशील समय में आई है, जब अदालतें फैसलों के करीब पहुंच रही हैं।

राष्ट्रपति कार्यालय ने आवेदन प्राप्त होने की पुष्टि करते हुए कहा कि इसे “मानक प्रक्रिया के अनुसार निपटाया जाएगा।” अब राष्ट्रपति हर्ज़ोग अपने कार्यकाल के सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक का सामना कर रहे हैं।


भ्रष्टाचार के मामले: आरोपों का सार

क्षमा अनुरोध की गंभीरता समझने के लिए उन आरोपों को समझना जरूरी है जिन्हें नेतन्याहू रद्द करवाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री तीन अलग-अलग लेकिन सामूहिक रूप से गंभीर भ्रष्टाचार मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

केस 1000: “गिफ्ट्स” मामला

इस मामले में आरोप है कि नेतन्याहू और उनके परिवार ने हॉलीवुड निर्माता अर्नोन मिलचन और ऑस्ट्रेलियाई अरबपति जेम्स पैकर जैसे धनी सहयोगियों से सिगार और शैम्पेन सहित लाखों डॉलर के लग्जरी गिफ्ट्स प्राप्त किए। बदले में, अभियोजन पक्ष का दावा है कि नेतन्याहू ने राजनीतिक लाभ प्रदान किए।

केस 2000: “एक्स फ़ाइल” आरोप

यह मामला यदियोत आख़रोनोत समाचारपत्र के प्रकाशक अर्नोन मोज़ेस के साथ कथित सौदे से संबंधित है। आरोप है कि नेतन्याहू ने एक प्रतिद्वंद्वी समाचारपत्र (इज़राइल हयोम) को कमजोर करने वाले कानून को आगे बढ़ाने का वादा किया, ताकि बदले में उनके पक्ष में रिपोर्टिंग मिले।

केस 4000: “बेज़ेक” मामला

सबसे गंभीर माना जाने वाला यह मामला इस आरोप पर आधारित है कि नेतन्याहू ने दूरसंचार कंपनी बेज़ेक को सैकड़ों मिलियन डॉलर के नियामक लाभ दिए। बदले में कंपनी के मालिक शाऊल एलोविच ने अपनी वेबसाइट Walla! पर नेतन्याहू को सकारात्मक कवरेज दी।


कानूनी और राजनीतिक तूफान

माफी अनुरोध आने के बाद देश में तीखी बहस छिड़ गई है।

कानूनी प्रक्रिया और मिसाल

इज़राइल में अभी तक किसी ऐसे व्यक्ति को राष्ट्रपति द्वारा माफी देने का स्पष्ट कानून नहीं है जिसे अभी सजा नहीं हुई हो। परंपरागत रूप से क्षमादान सजा के बाद दिया जाता रहा है। एक मौजूदा प्रधानमंत्री को अग्रिम माफी देना अभूतपूर्व होगा और इसे न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर करने के रूप में देखा जा सकता है।

कानूनी विशेषज्ञ दो हिस्सों में बंटे हैं —
कुछ कहते हैं कि राष्ट्रपति की शक्ति व्यापक है और दुर्लभ परिस्थितियों में ऐसे कदम उठाना उनके अधिकार में आता है।
दूसरे इसे खतरनाक उदाहरण बताते हैं, जो प्रधानमंत्री को कानून से ऊपर रखने जैसा होगा।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनभावना

राजनीतिक स्तर पर यह कदम पहले से विभाजित देश को और बांट रहा है।

  • सरकारी गठबंधन: नेतन्याहू के समर्थक इसे राष्ट्रीय एकता का कदम बताकर समर्थन कर रहे हैं और मुकदमों को राजनीतिक साज़िश कह रहे हैं।
  • विपक्ष: विपक्षी नेताओं ने इसे “दोष स्वीकार” और “लोकतंत्र पर हमला” बताते हुए कठोर विरोध किया है।
  • जन आंदोलन: घोषणा के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की पुकार फिर से उठी है, लोग न्याय और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।

आगे क्या? संभावित परिणाम

अब फैसला राष्ट्रपति इसाक हर्ज़ोग के हाथ में है। उनके तीन संभावित विकल्प हो सकते हैं—

  1. यदि माफी दी जाती है:
    मुकदमा तुरंत रुक जाएगा और नेतन्याहू बिना कानूनी दबाव के सत्ता में रहेंगे।
    लेकिन देशभर में भारी विरोध, अस्थिरता और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती की संभावना बढ़ जाएगी।
  2. माफी अस्वीकार की जाती है:
    मुकदमे जारी रहेंगे, नेतन्याहू को अदालत और शासन दोनों मोर्चों पर लड़ना होगा।
    राजनीतिक दबाव भी बढ़ेगा।
  3. निर्णय टाला जाता है:
    राष्ट्रपति कानूनी सलाह लेकर या मुकदमे के किसी मोड़ का इंतज़ार करके फैसला स्थगित कर सकते हैं।
    इससे अनिश्चितता बढ़ेगी लेकिन इसे संतुलित कदम माना जा सकता है।

निष्कर्ष: एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा देश

बेंजामिन नेतन्याहू का क्षमादान अनुरोध सिर्फ कानूनी प्रक्रिया नहीं है — यह लोकतंत्र की जड़ों को झकझोरने वाला दांव है।
अब पूरा बोझ राष्ट्रपति हर्ज़ोग पर है, जिन्हें “राष्ट्रीय हित” और कानून के सामने समानता के बीच चयन करना होगा।

इस निर्णय से न सिर्फ इज़राइल के सबसे लंबे कार्यकाल वाले प्रधानमंत्री का भविष्य तय होगा, बल्कि यह भी तय होगा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती कितनी है।
दुनिया की नज़रें इज़राइल पर टिकी हैं — जहाँ इतिहास लिखा जाने वाला है।

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