Gaza City Invasion: Latest Updates & Analysis

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गाज़ा सिटी पर आक्रमण: बढ़ते ज़मीनी हमले और गहराता मानवीय संकट

इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष अब एक नए और विनाशकारी चरण में प्रवेश कर चुका है। गाज़ा सिटी में ज़मीनी आक्रमण की तीव्रता ने इस संघर्ष को और भयावह बना दिया है। गाज़ा पट्टी के इस घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र में अब तक की सबसे भीषण लड़ाइयाँ लड़ी जा रही हैं, जिसके कारण जीवन की भारी क्षति, बड़े पैमाने पर विस्थापन और मानवीय त्रासदी सामने आ रही है। पूरी दुनिया बढ़ती चिंता के साथ इस स्थिति को देख रही है। यह विस्तृत ब्लॉग आपको ज़मीनी हालात, मानव हानि, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं और आगे की अनिश्चित राह का गहन विश्लेषण प्रदान करेगा।

हालात की जड़ें:

यह बढ़ती हिंसा 7 अक्टूबर को हमास के भयानक हमलों से शुरू हुई थी, जिसके बाद इज़राइल ने ज़ोरदार सैन्य अभियान छेड़ा। अब इसका मुख्य केंद्र गाज़ा सिटी है, जहाँ इज़राइली रक्षा बल (IDF) हमास की सैन्य संरचना को ध्वस्त करने के लिए जटिल और रक्तरंजित शहरी युद्ध में लगे हैं।


मौजूदा सैन्य स्थिति: घेराबंदी में शहर

द हिंदू और बीबीसी जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, इज़राइली सैनिक भारी हवाई और तोपखाने के समर्थन से कई दिशाओं से गाज़ा सिटी में प्रवेश कर रहे हैं। उनकी रणनीति शहर को बाकी गाज़ा से काटने और छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करने की है, ताकि हमास की टुकड़ियों को अलग-थलग किया जा सके।

  • दक्षिण और पूर्व से अग्रिम मोर्चा: टैंक और बख़्तरबंद गाड़ियाँ टेल अल-हवा और शेख रदवान जैसे इलाक़ों में घुस चुकी हैं। यहाँ गली-गली युद्ध चल रहा है, जिसमें हमास गुरिल्ला रणनीति, घात लगाकर हमले और विस्फोटक से जकड़ी इमारतों का इस्तेमाल कर रहा है।
  • हवाई हमले तेज़: अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, हर दिन दर्जनों हवाई हमले हो रहे हैं। इज़राइल का दावा है कि ये हमास के कमांड सेंटर, हथियार भंडार और सुरंग नेटवर्क को निशाना बनाते हैं, हालाँकि इनमें से कई आवासीय इमारतों में छिपे हैं।
  • सुरंग नेटवर्क की चुनौती: “गाज़ा मेट्रो” नाम से मशहूर हमास की भूमिगत सुरंगें सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। इन्हें बंद करना खतरनाक नज़दीकी लड़ाई के बिना लगभग असंभव है।

इज़राइली सेना का दावा है कि सैकड़ों हमास लड़ाके मारे जा चुके हैं और कई सुरंगों व हथियार कारख़ानों का पता लगाया गया है। लेकिन साथ ही उनके कई सैनिक भी मारे गए हैं, जो इस युद्ध की भारी कीमत दिखाता है।


मानवीय हानि: गहराती त्रासदी

यह हमला गाज़ा के लोगों के लिए भीषण त्रासदी बन गया है।

  • मृतकों की संख्या: द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल फ़िलिस्तीनी मौतें 65,000 से अधिक हो चुकी हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं।
  • नागरिक हताहत: अल-जज़ीरा लाइव ब्लॉग के मुताबिक़, केवल एक दिन में दर्जनों नागरिक मारे गए। कई परिवार मलबे में दब गए। इज़राइल का कहना है कि वे नागरिक हानि से बचने की कोशिश करते हैं और हमास पर आरोप लगाते हैं कि वह आम लोगों के बीच छिपता है।
  • बड़े पैमाने पर पलायन: एनडीटीवी और अन्य रिपोर्टों के अनुसार, हज़ारों लोग गाज़ा सिटी छोड़कर दक्षिण की ओर भाग रहे हैं। लेकिन वे जिन जगहों पर जा रहे हैं, वे पहले से ही भीड़भाड़ और संसाधनों की कमी से जूझ रही हैं।
  • पीछे रह गए लोगों की हालत: जो लोग शहर में ही फँसे हैं, वे भोजन, साफ़ पानी और दवाओं की भयंकर कमी झेल रहे हैं। अस्पताल जैसे अल-शिफ़ा लगभग ढह चुके हैं।

मानवीय संकट: टूटते हुए हालात

  • आवश्यक चीज़ों की कमी: रफ़ा बॉर्डर से आ रही सहायता गाड़ियों की संख्या ज़रूरत से बहुत कम है। संयुक्त राष्ट्र और राहत एजेंसियों ने अकाल और बीमारियों का खतरा जताया है।
  • सहायता वितरण की मुश्किलें: लगातार बमबारी और लड़ाई के बीच राहत सामग्री बाँटना बेहद खतरनाक है। कई बार मदद लेने वाले नागरिक और काफ़िले निशाने पर आ जाते हैं।
  • स्वास्थ्य प्रणाली का पतन: अस्पतालों में बिजली नहीं है। ऑपरेशन बिना एनेस्थीसिया और साफ़ उपकरणों के हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने सुरक्षित रास्ता और आपूर्ति पहुँचाने की गुहार लगाई है।

संयुक्त राष्ट्र और इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ द रेड क्रॉस ने स्थिति को “धरती पर नरक” करार दिया है और तत्काल युद्धविराम की मांग की है।


अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक प्रतिक्रिया

  • अमेरिकी भूमिका: अमेरिका सैन्य और कूटनीतिक समर्थन देता है, लेकिन बढ़ते नागरिक हताहतों पर चिंता भी व्यक्त कर रहा है।
  • वैश्विक युद्धविराम की मांग: संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में कई देशों ने तत्काल युद्धविराम की मांग की है, परंतु सहमति नहीं बन सकी है।
  • कानूनी दबाव: अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) दोनों पक्षों की जाँच कर रहा है। वहीं अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में दक्षिण अफ्रीका ने इज़राइल पर नरसंहार का आरोप लगाया है, जिसे इज़राइल नकारता है।
  • क्षेत्रीय तनाव: लेबनान के हिज़बुल्लाह और यमन के हूती भी इस संघर्ष में सक्रिय हैं, जिससे पूरे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ रहा है।

आगे का रास्ता: क्या होगा आगे?

कई संभावनाएँ सामने हैं:

  • लंबा शहरी युद्ध: गाज़ा सिटी का हर मोहल्ला साफ़ करने में हफ़्तों या महीनों लग सकते हैं।
  • कूटनीतिक विराम: अमेरिका, मिस्र और क़तर की मध्यस्थता से अस्थायी युद्धविराम संभव है।
  • “डे आफ़्टर” का सवाल: सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि लड़ाई खत्म होने के बाद गाज़ा पर शासन कौन करेगा? इज़राइल पुनः कब्ज़ा नहीं करना चाहता, फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण कमज़ोर माना जा रहा है और सत्ता का खालीपन अराजकता फैला सकता है।

गाज़ा सिटी पर यह आक्रमण केवल सैन्य कार्रवाई नहीं है, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व की राजनीति और लाखों ज़िंदगियों को प्रभावित करने वाली घटना है। सबसे बड़ी ज़रूरत है—युद्धविराम, राहत सामग्री की सुरक्षित आपूर्ति और नागरिकों की सुरक्षा। लंबी अवधि में एक स्थायी राजनीतिक समाधान ही इस समस्या का हल है, जिसका इंतज़ार पीढ़ियों से किया जा रहा है।


you can visit it:

International Court of Justice (ICJ)

United Nations (OCHA) – आधिकारिक मानवीय रिपोर्टें

International Committee of the Red Cross (ICRC)

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