ECI’s Pan-India Voter List SIR Unveiled

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ECI's Pan-India Voter List SIR Unveiled

परिचय: भारत के लोकतंत्र के लिए एक नई शुरुआत

कल्पना कीजिए, आप मतदान के दिन अपने मतदान केंद्र की लाइन में खड़े हैं, और अचानक पता चलता है कि आपका नाम मतदाता सूची से गायब हो गया है। यह एक ऐसा दुःस्वप्न है जो हाल के वर्षों में लाखों लोगों के साथ घट चुका है — जिससे गुस्सा, विरोध और कानूनी लड़ाइयाँ शुरू हुईं। अब, जब भारत 2026 के हाई-स्टेक्स विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहा है, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) एक बड़ा कदम उठा रहा है — एक देशव्यापी “Special Intensive Revision (SIR)” यानी विशेष गहन पुनरीक्षण

27 अक्टूबर 2025 को घोषित होने वाली यह पहल पूरे देश में मतदाता सूचियों की जांच, डुप्लिकेट नाम हटाने, नागरिकता सत्यापित करने और यह सुनिश्चित करने का वादा करती है कि हर पात्र नागरिक की आवाज सुनी जाए। लेकिन हाल ही में बिहार में हुए पुनरीक्षण—जहां 68 लाख से अधिक नाम हटाए गए—को लेकर सवाल उठ रहे हैं: क्या यह प्रक्रिया लोकतंत्र को सशक्त बनाएगी या गरीब और हाशिए के वर्गों को वंचित कर देगी?

इस गाइड में हम समझेंगे कि SIR क्या है, यह कैसे काम करता है, इसके राजनीतिक प्रभाव क्या हैं और आप अपने मतदान अधिकार की रक्षा कैसे कर सकते हैं। चाहे आप केरल में पहली बार वोट देने जा रहे हों या तमिलनाडु में काम करने वाले प्रवासी हों—SIR को समझना भारत के हर नागरिक के लिए ज़रूरी है।


SIR क्या है? प्रक्रिया को सरलता से समझें

मूल रूप से, SIR कोई साधारण मतदाता सूची संशोधन नहीं है—यह पूरी व्यवस्था का पुनर्निर्माण है। जहां हर साल किया जाने वाला Special Summary Revision (SSR) मामूली बदलावों पर केंद्रित होता है, वहीं SIR पूरी मतदाता सूची को शून्य से दोबारा बनाता है। हर मतदाता को अपनी जानकारी फिर से जमा करनी होगी—पहचान और पते के सबूत सहित।

इसे लोकतंत्र की “स्प्रिंग क्लीनिंग” समझिए:

  • पुराने या मृत मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे,
  • प्रवासियों के कारण बने डुप्लिकेट रिकॉर्ड मिटाए जाएंगे,
  • और गैर-नागरिकों जैसी अपात्र प्रविष्टियाँ भी हटाई जाएंगी।

साथ ही, 18 वर्ष के नए युवाओं को जोड़ा जाएगा। ECI के 24 जून 2025 के आदेश ने बताया कि पिछले दो दशकों में शहरीकरण, नौकरी के लिए पलायन और संभावित विदेशी घुसपैठ की वजह से कई क्षेत्रों में मतदाता सूची 20% तक फूली हुई है।

विस्तृत चरण:

  1. गणना चरण: बूथ-लेवल अधिकारी घर-घर जाकर फॉर्म एकत्र करेंगे (Form 6 – नया नाम जोड़ने के लिए, Form 7 – हटाने के लिए)।
  2. सत्यापन अवधि: एक महीने का समय दावे/आपत्तियों के लिए, जिनमें जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट या आधार जैसे दस्तावेज़ जरूरी होंगे (सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद आधार को अब वैध ID माना गया है)।
  3. अंतिम सूची प्रकाशन: सभी विवाद सुलझने के बाद साफ-सुथरी सूची जारी होगी।

इतिहास से उदाहरण: पिछली बार SIR 2002-2004 में हुआ था—स्मार्टफोन और बड़े पैमाने पर पलायन से पहले। अब यह प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है, जहां मतदाता सूची राज्य के CEO पोर्टलों पर ऑनलाइन उपलब्ध होगी। दिल्ली (2008) और उत्तराखंड (2006) की सूचियाँ पहले से डिजिटाइज़ हैं।

महत्वपूर्ण दृष्टिकोण: SIR केवल कागजी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि मतदान में धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षा कवच है। 2024 लोकसभा चुनावों में 15% करीबी मुकाबलों में फर्जी वोटों ने फर्क डाला था। ECI के अनुसार, SIR से मतदान प्रतिशत 67% से बढ़कर 75% तक जा सकता है।


अब SIR क्यों? चुनावी शुद्धता की दिशा में कदम

2026 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी जैसे पाँच राज्यों में चुनाव हैं। 3 करोड़ वार्षिक आंतरिक प्रवासियों (जनगणना 2021 के अनुसार) के कारण मतदाता सूचियाँ त्रुटियों से भरी हुई हैं। साथ ही, बांग्लादेश और म्यांमार से होने वाली घुसपैठ ने विवादों को जन्म दिया है।

मुख्य कारण: बिहार में सितंबर 2025 में पूरा हुआ पायलट SIR, जहाँ मतदाता सूची में 6% की कमी आई (7.5 करोड़ से घटकर 7.42 करोड़ नाम)। ECI ने इसे सफलता बताया, लेकिन विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों और गरीबों को निशाना बनाने की साजिश कहा। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला-वार डेटा सार्वजनिक किया गया और दस्तावेज़ों के दायरे को बढ़ाया गया।

मुख्य निष्कर्ष: यह कदम जल्दबाज़ी में नहीं बल्कि डेटा आधारित है। अक्टूबर 2025 की CEO कॉन्फ्रेंस में पाया गया कि शहरी क्षेत्रों में 15–20% त्रुटियाँ हैं। अभी कदम उठाना जरूरी है ताकि 2026 के चुनाव एक “स्वच्छ स्लेट” से शुरू हों।


27 अक्टूबर को क्या होगा खास?

समय: शाम 4:15 बजे, निरवाचन सदन, नई दिल्ली में
नेता: मुख्य निर्वाचन आयुक्त ग्यानेश कुमार, और आयुक्त सुखबीर सिंह संधू तथा विवेक जोशी

घोषणा में देशव्यापी SIR का कार्यक्रम तय किया जाएगा।

संभावित विवरण:

  • चरणबद्ध शुरुआत: पहले चरण में 10–15 राज्य, जिनमें प्रमुख रूप से चुनाव वाले राज्य शामिल होंगे (असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल)।
  • समय सीमा: 30 दिन गणना, 30 दिन दावा/आपत्ति—साल के अंत तक पूरा।
  • दस्तावेज़ नियम: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमोदित 11 दस्तावेज़ (जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, जाति प्रमाणपत्र आदि) और आधार को मान्यता।

क्यों चरणबद्ध? भारत के 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों के लिए यह एक बड़ा लॉजिस्टिक कार्य है।


पहला चरण: किन राज्यों पर नजर और क्यों

  • तमिलनाडु: 5.3 करोड़ मतदाता; DMK तीसरी जीत की कोशिश में।
  • पश्चिम बंगाल: 7.4 करोड़; TMC बनाम BJP।
  • केरल: 2.6 करोड़; LDF बनाम UDF।
  • असम: 2.4 करोड़; सीमा सुरक्षा केंद्र में।
  • पुडुचेरी: 9 लाख; कांग्रेस बनाम AIADMK।

संभावना है कि उत्तर प्रदेश या महाराष्ट्र को भी जोड़ा जाए। जम्मू-कश्मीर को इस चरण से बाहर रखा जा सकता है।

प्रभाव उदाहरण: तमिलनाडु में ग्रामीण से शहरी पलायन के कारण 5–10% डुप्लिकेट नाम हट सकते हैं। परंतु दस्तावेज़ों के अभाव में कई युवाओं के नाम कटने का खतरा है।


बिहार की SIR गाथा: सफलता, विवाद और सबक

बिहार का जून–सितंबर 2025 SIR इस प्रक्रिया की परीक्षा रन था। इसमें 68.66 लाख नाम हटाए गए और मतदाता सूची 7.42 करोड़ पर आ गई। BJP ने इसे “हाइजीन रिस्टोर” कहा।

परंतु विपक्ष ने इसे “वोट चोरी की साजिश” करार दिया। INDIA गठबंधन के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किए और “वोटर अधिकार यात्रा” निकाली। सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर पारदर्शिता के आदेश दिए।

सकारात्मक परिणाम: फर्जी वोटों में 12% की कमी।
नकारात्मक पक्ष: प्रवासी इलाकों (जैसे पटना) में 20% आपत्तियाँ लंबित।

सीख: आपत्तियों की डिजिटल प्रक्रिया (जैसे cVIGIL ऐप) जरूरी है और अधिकारियों को संवेदनशीलता का प्रशिक्षण देना होगा।


राजनीतिक गर्मी: DMK की सतर्कता और विपक्ष की रणनीति

तमिलनाडु में DMK सांसद कनीमोझी करुणानिधि ने 25 अक्टूबर को कहा, “हम किसी का मताधिकार छीने जाने नहीं देंगे।” उन्होंने कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर सत्यापन करने के निर्देश दिए।

अन्य राज्यों में स्थिति:

  • पश्चिम बंगाल: TMC ने “बंगालियों के नाम काटने” की आशंका जताई।
  • असम: BJP ने इसे “घुसपैठियों के खिलाफ हथियार” बताया।
  • राष्ट्रीय स्तर पर: कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट की निगरानी चाहती है, BJP आलोचकों को “सुधार विरोधी” कह रही है।

आपकी कार्य योजना: बिना परेशानी SIR में भाग लें

  1. स्थिति जांचें: nvsp.in या राज्य के CEO साइट पर जाकर EPIC नंबर या मोबाइल से खोजें।
  2. दस्तावेज़ तैयार रखें: जन्म प्रमाणपत्र, स्कूल रिकॉर्ड या आधार।
  3. Form 6 भरें: ऑनलाइन या BLO के साथ नवंबर से प्रक्रिया शुरू होगी।
  4. आपत्तियाँ दर्ज करें: त्रुटियाँ दिखें तो 30 दिनों में Form 8 जमा करें।
  5. विशेष मामले: प्रवासी पुराने पते से NOC लें, NRI पासपोर्ट और Form 6A भरें।

प्रो टिप: स्थानीय NGO जैसे Vote for India के शिविरों से मदद लें।

उदाहरण: यदि आप मुंबई से चेन्नई शिफ्ट हुए हैं, तो महाराष्ट्र की पुरानी मतदाता सूची की प्रति और तमिलनाडु का राशन कार्ड साथ दें।


समापन: निष्पक्ष चुनावों की दिशा में SIR एक कदम

27 अक्टूबर की घोषणा केवल एक खबर नहीं बल्कि 96 करोड़ मतदाताओं के लिए आह्वान है। यह प्रक्रिया चुनावों को पारदर्शी, निष्पक्ष और आधुनिक बनाएगी। बिहार के अनुभवों से सीखकर और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में, SIR भारत के लोकतंत्र को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।

जुड़ें, सत्यापित करें और निडर होकर वोट दें। लोकतंत्र तब ही जीवित रहता है जब हर नागरिक अपनी भूमिका निभाता है।

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