G20 Summit: Modi’s AI Compact & UNSC Reform Push

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G20 Summit: वैश्विक सहयोग का एक नया अध्याय शुरू

हाल ही में संपन्न हुआ G20 शिखर सम्मेलन केवल एक राजनयिक बैठक नहीं था; यह वह crucible था जहाँ वैश्विक शासन के भविष्य को आकार दिया गया। जटिल भू-राजनीतिक तनावों की पृष्ठभूमि में, यह शिखर सम्मेलन उभरती शक्तियों के लिए एक अधिक न्यायसंगत विश्व व्यवस्था की अपनी दृष्टि प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा। इस पहल का नेतृत्व भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, जिनका संबोधन 21वीं सदी के लिए एक प्रभावी, बहुआयामी एजेंडा पेश करता है।

यह ब्लॉग पोस्ट शिखर सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्षों पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से पीएम मोदी के दो सबसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर:

  • मानव-केंद्रित वैश्विक AI कॉम्पैक्ट
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में लंबे समय से लंबित सुधार

हम यह जानेंगे कि ये प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय सहयोग, प्रौद्योगिकी नैतिकता, और वैश्विक शक्ति संतुलन के लिए क्या मायने रखते हैं।


G20 Summit

ग्लोबल AI कॉम्पैक्ट की मांग: मानवता के भविष्य की सुरक्षा

अपने संबोधन के सबसे दूरदर्शी हिस्से में, प्रधानमंत्री मोदी पारंपरिक भू-राजनीति से आगे बढ़कर हमारे समय की एक निर्णायक चुनौती—आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस—पर बोले। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए एक “Global AI Compact” बनाने का प्रस्ताव रखा कि यह परिवर्तनकारी तकनीक मानवता के लिए एक शुभ शक्ति बनी रहे।

क्यों एक ग्लोबल AI कॉम्पैक्ट अनिवार्य है

AI तेज़ी से प्रगति कर रहा है और स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा में अभूतपूर्व अवसर प्रदान कर रहा है। लेकिन साथ ही यह कई गंभीर जोखिम भी लाता है, जैसे:

  • नौकरी विस्थापन: ऑटोमेशन पूरी उद्योगों को बाधित कर सकता है।
  • एल्गोरिथमिक पक्षपात: AI सिस्टम सामाजिक पूर्वाग्रहों को बढ़ा सकते हैं।
  • सुरक्षा खतरे: साइबर युद्ध और स्वायत्त हथियारों में AI का दुरुपयोग खतरनाक है।
  • ग़लत सूचना का प्रसार: डीपफेक और AI-जनित सामग्री लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकती है।

PM मोदी का यह आह्वान एक वैश्विक ढाँचा बनाने की दिशा में है जो AI के लाभों को अधिकतम कर सके और इसके जोखिमों से सुरक्षा प्रदान करे। “मानव-केंद्रित” दृष्टिकोण इस बात पर ज़ोर देता है कि तकनीक को मनुष्यों की सेवा करनी चाहिए।


प्रस्तावित AI कॉम्पैक्ट के प्रमुख स्तंभ

एक सफल ग्लोबल AI कॉम्पैक्ट निम्नलिखित सिद्धांतों पर आधारित हो सकता है:

  • एथिकल ट्रांसपेरेंसी: AI एल्गोरिदम पारदर्शी, ऑडिट योग्य और गैर-भेदभावपूर्ण होने चाहिए।
  • डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा: AI प्रशिक्षण एवं उपयोग में वैश्विक डेटा सुरक्षा मानक स्थापित करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: विशेषकर Global North और South के बीच संयुक्त शोध और विकास को बढ़ावा देना, ताकि “AI divide” न बने।
  • जवाबदेही तंत्र: स्वायत्त प्रणालियों द्वारा लिए गए निर्णयों के लिए कानूनी और नैतिक जिम्मेदारियों की स्पष्ट परिभाषा।


“विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता”: UNSC सुधार की तात्कालिक मांग

जहाँ AI कॉम्पैक्ट भविष्य की बात करता है, वहीं UNSC सुधार पर पीएम मोदी की दृढ़ मांग वर्तमान वैश्विक व्यवस्था की एक पुरानी समस्या को उजागर करती है। IBSA (भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका) की बैठक में दिया गया उनका बयान—कि सुधार “विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता” है—गहरी गूंज पैदा करता है।

अधिक प्रतिनिधित्व वाली सुरक्षा परिषद क्यों आवश्यक है

वर्तमान UNSC का ढाँचा 1945 की शक्ति संरचना को दर्शाता है, न कि 2025 की। इसके पाँच स्थायी सदस्य (P5)—चीन, फ्रांस, रूस, यूके, और यूएस—वीटो शक्ति रखते हैं, जिससे एक देश भी कोई भी प्रस्ताव रोक सकता है।

यह संरचना इसलिए अवैध और अप्रभावी मानी जा रही है क्योंकि:

  • यह भारत, ब्राज़ील, जर्मनी और जापान जैसी प्रमुख शक्तियों को शामिल नहीं करती।
  • यह अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे महाद्वीपों का प्रतिनिधित्व नहीं करती।
  • वीटो शक्ति ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों, जैसे संघर्ष और मानवीय संकटों पर UNSC को पंगु बना दिया है।

एकजुट मोर्चा: IBSA की बढ़ती सहमति

IBSA बैठक में इन तीन लोकतांत्रिक राष्ट्रों के बीच बढ़ती सहमति साफ दिखी। संदेश स्पष्ट था: दुनिया को एक अधिक प्रतिनिधिक, विश्वसनीय और प्रभावी UNSC की आवश्यकता है। इन राष्ट्रों की एकजुटता सुधार आंदोलन को महत्वपूर्ण गति प्रदान करती है।

एक सुधारित UNSC आधुनिक चुनौतियों—जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद—से निपटने के लिए अधिक वैधता और सामूहिक संकल्प प्रदान करेगा।



बदलती दुनिया के लिए 6-सूत्रीय एजेंडा

AI और UNSC सुधारों के अलावा, PM मोदी का G20 संबोधन एक व्यापक 6-सूत्रीय एजेंडा पर आधारित था, जिसमें वैश्विक शासन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण शामिल था। मुख्य स्तंभों में शामिल थे:

  • बहुपक्षवाद को मजबूत करना: अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में विश्वास बनाए रखना और सुधार की मांग करना।
  • डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना: UPI और आधार जैसे भारतीय मॉडल को विकासशील देशों के साथ साझा करना।
  • आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख: शून्य-सहनशीलता दृष्टिकोण और आतंक वित्तपोषण पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना।
  • क्लाइमेट जस्टिस का समर्थन: ग्लोबल साउथ के साथ न्याय करते हुए विकास और जलवायु कार्रवाई में संतुलन।
  • खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना: संघर्षों के कारण बाधित सप्लाई चेन को स्थिर करना।
  • महिला-नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देना: लैंगिक समानता को सतत विकास का प्रमुख चालक बनाना।

निष्कर्ष: अधिक समावेशी वैश्विक राह की ओर

2025 का G20 शिखर सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मोड़ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेपों ने वर्तमान और भविष्य दोनों को जोड़ा—UNSC सुधार की तात्कालिक आवश्यकता से लेकर AI की सक्रिय वैश्विक शासन तक। ग्लोबल AI कॉम्पैक्ट और UNSC सुधार के प्रस्ताव किसी एक मुद्दे तक सीमित नहीं हैं; यह वैश्विक सहयोग के नए, अधिक समावेशी दृष्टिकोण के परस्पर जुड़े स्तंभ हैं।

भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका जैसे साझेदारों के साथ मिलकर, अब भारत केवल एक क्षेत्रीय नेता नहीं, बल्कि एक अधिक न्यायसंगत और प्रतिनिधिक विश्व व्यवस्था की आवाज़ बनकर उभरा है। यह शिखर सम्मेलन आने वाले दशक की निर्णायक वैश्विक वार्ताओं की नींव रख चुका है।

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