आईसीसी विमेंस वर्ल्ड कप 2025 में जेमिमा रोड्रिग्स की यादगार पारी: साहस, विश्वास और वापसी की कहानी
आईसीसी विमेंस वर्ल्ड कप 2025 के हाई-वोल्टेज ड्रामे में कुछ ही पल ऐसे होते हैं जो क्रिकेट की सच्ची भावना और जज़्बे को जगा देते हैं—जैसे जेमिमा रोड्रिग्स की नाबाद 127 रनों की पारी।
30 अक्टूबर 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स अकादमी में, जेमिमा ने सिर्फ बल्लेबाज़ी नहीं की—उन्होंने इतिहास लिखा।
339 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए, भारत महिला टीम ने ऑस्ट्रेलिया जैसी अपराजित टीम को नौ गेंद शेष रहते पाँच विकेट से हरा दिया।
बांद्रा की यह चंचल लड़की, जो अब राष्ट्रीय हीरो बन चुकी है, ने इस पारी में संतुलन, ताकत और अडिग हिम्मत का शानदार मेल दिखाया।
पर यह कहानी सिर्फ रन बनाने की नहीं थी—यह विश्वास, फिटनेस और रोहित शर्मा से हुई भावनात्मक बातचीत से जन्मी रीडेम्प्शन (वापसी) की कहानी थी।
जैसे ही भारत 2 नवंबर के फाइनल की ओर बढ़ रहा है, जेमिमा की कहानी मैदान से बहुत आगे तक गूंजती है।
यह कहानी है अपने डर को हराने की, खेल में फिर से खुशी खोजने की, और तब उठने की जब दुनिया तुम्हें कम आंकती है।
इस लेख में हम जानेंगे—कैसे बांद्रा की धूल भरी नेट्स से लेकर वर्ल्ड कप की चमक तक, जेमिमा ने अपना रास्ता बनाया।
अगर आप स्पोर्ट्स में मेंटल टफनेस या जेमिमा रोड्रिग्स की सेमीफाइनल वीरता से प्रेरणा पाना चाहते हैं, तो आप सही जगह पर हैं।
रोमांचक सेमी-फाइनल: सदियों के लिए यादगार पीछा
सोचिए—ऑस्ट्रेलिया, पाँच बार की चैंपियन, ने 49.5 ओवर में 338/10 का विशाल स्कोर बनाया।
फीबी लिचफील्ड (119) और बेथ मूनी व एलीस पेरी (दोनों 77) की पारियों से सजा यह स्कोर बल्लेबाज़ों के लिए स्वर्ग जैसा था, लेकिन दबाव था आसमान छूता।
भारत ने शैफाली वर्मा (10) और स्मृति मंधाना (24) के जल्दी आउट होने से 59/2 का स्कोर देखा।
फिर नंबर 4 पर आईं जेमिमा रोड्रिग्स—तूफ़ान के बीच शांति की तरह।
इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास था।
जेमिमा ने कप्तान हरमनप्रीत कौर (89) के साथ 167 रनों की साझेदारी की।
57 गेंदों में पचास, 115 में शतक, और अंत तक नाबाद 127 (134 गेंदों में, 14 चौके, स्ट्राइक रेट 94.77)।
उन्होंने 57 सिंगल्स और 7 डबल्स दौड़कर बनाए—हर रन में मेहनत झलकती थी।
जब हरमनप्रीत आउट हुईं तब भारत 226/3 पर था।
ड्रिंक्स के बाद कुछ झटके लगे—दीप्ति शर्मा (24) रनआउट, ऋचा घोष (26) कैच आउट—but जेमिमा ने हार नहीं मानी।
उन्होंने अमनजोत कौर (15*) के साथ टीम को 48.3 ओवर में 341/5 तक पहुँचाया—भारत की ODI इतिहास की सबसे बड़ी सफल चेज़।
उन्हें मिला प्लेयर ऑफ द मैच।
पूर्व कोच डब्ल्यूवी रमन बोले—”यह पारी सदियों तक याद रहेगी।”
34,651 दर्शकों के बीच यह जीत जेमिमा के लिए भावनात्मक मुक्ति थी।

बांद्रा जिमखाना से विश्व मंच तक: एक स्पार्क प्लग की कहानी
जेमिमा सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं हैं—वह एक “फिनॉमेनन” हैं।
मुंबई के बांद्रा इलाके में जन्मीं, वह वहां की असली “बांद्रा गर्ल” हैं—मस्त, म्यूज़िक-लविंग, सोशल मीडिया पर एक्टिव, और हमेशा एनर्जी से भरी हुई।
लेकिन क्रिकेट? वही उनका असली जुनून था।
नौ साल की उम्र में उनके पिता इवान रोड्रिग्स उन्हें एमआईजी क्लब ले गए, जहाँ वे लड़कों (यहाँ तक कि अर्जुन तेंदुलकर) के साथ नेट्स में खेलती थीं।
कोच प्रशांत शेट्टी ने उन्हें मौका दिया—और वहीं से एक सितारा उभरा।
शुरुआती दिन कठिन थे।
वह हॉकी और रिंक हॉकी भी खेलती थीं, जिसने उनकी फुर्ती बढ़ाई, लेकिन क्रिकेट ने दिल जीत लिया।
कोच शेट्टी कहते हैं—“वह कभी हार नहीं मानती। उसमें हमेशा जीत की आग रहती है।”
किशोरावस्था में ही वह मुंबई की स्टार बन चुकी थीं और 2018 में भारत के लिए डेब्यू किया।
साथ ही, वह गायिका, डांसर, और मोटिवेटर भी हैं।
नासिर हुसैन ने कहा—“उस मुस्कान के पीछे एक इंसान है जो दबाव और डर को झेलता है।”
बांद्रा का जोश उनमें साफ झलकता है।
2023 के बांद्रा जिमखाना हॉकी टूर्नामेंट में उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया।
प्रेसिडेंट चेरील मिस्किटा ने कहा—“वह प्रेरणा हैं—खासकर उनकी वर्ल्ड कप में शानदार पारी के बाद।”
उनकी एनर्जी मैदान पर भी झलकती है—तहलिया मैक्ग्रा का रनआउट और 328 रन दौड़कर बनाने की फिटनेस!
2022 वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद उन्होंने खुद को बदला—फिटर, स्ट्रॉन्गर, और अधिक स्मार्ट।
कोच शेट्टी कहते हैं—“तीन साल में उनकी ग्रोथ ग़ज़ब की रही है।”
वह जिम मिस नहीं करतीं।
सेमीफाइनल में उन्होंने 50 ओवर फील्डिंग की और 47 ओवर बल्लेबाज़ी—कुल 97 ओवर की सहनशक्ति!
छिपे संघर्ष: चिंता, विश्वास और “अंदर के आँसू”
उस मुस्कान के पीछे एक तूफ़ान है।
जेमिमा ने सेमीफाइनल के बाद कहा—“मैंने लगभग हर दिन रोया इस वर्ल्ड कप में… लेकिन भगवान ने मुझे ताकत दी। मैंने खुद से बातें कीं और बाइबल के वचन दोहराए।”
यह ईमानदार स्वीकारोक्ति दिखाती है कि सफलता के पीछे कितनी लड़ाई होती है।
2022 में जब उन्हें टीम से बाहर किया गया, वह टूट गईं।
2025 में भी चिंता और दबाव ने उन्हें परेशान किया—एक अरब लोगों की उम्मीदों का बोझ।
नासिर हुसैन बोले—“उस मुस्कान के पीछे कितनी मुश्किलें हैं, लोग नहीं जानते।”
पर उनका विश्वास (Faith) उन्हें संभालता रहा।
बाइबल की आयतें, आत्मसंवाद, और कोचिंग ने उन्हें मजबूत बनाया।
कोच शेट्टी ने कहा—“ड्रॉप होना उनके करियर का मोड़ था। हमने फिर से शुरुआत की।”
खेल जगत के लिए यह सबक है—Anxiety कमजोरी नहीं, इंसानियत है।
और यही उन्हें हीरा बनाती है।
रोहित शर्मा की सलाह: आँसू और आत्मविश्वास की कहानी
यहाँ आते हैं रोहित शर्मा—भारत के टेस्ट और T20 कप्तान।
वर्ल्ड कप से पहले एक शो में उन्होंने 2011 में टीम से बाहर होने की कहानी बताई।
उन्होंने कहा—“मैं अंदर से टूट गया था।”
जेमिमा को उनकी कहानी में अपना प्रतिबिंब दिखा।
2022 में वही हुआ था उनके साथ।
रोहित ने कहा—“मुश्किल समय आएगा, लेकिन जब अगला मौका मिले, तो पूरी तैयारी से जाना।”
यह बात जेमिमा के दिल में बैठ गई।
उन्होंने कहा—“अब मुझे किसी को कुछ साबित नहीं करना, बस खेल का मज़ा लेना है।”
2023 वर्ल्ड कप में रोहित ने भारत को चैंपियन बनाया—और अब 2025 में जेमिमा उसी सलाह से चमक रही हैं।
उनका रिश्ता दिखाता है—क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, एक परिवार है।
उस पारी से मिले सबक: विकास, धैर्य और विरासत
127* की वह पारी किसी चमत्कार से कम नहीं।
कोच शेट्टी ने कहा—“उसने हर ज़ोन में रन बनाए, हर परिस्थिति में ढल गई।”
ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज़ों के खिलाफ उन्होंने स्ट्राइक रोटेशन से मैच पलट दिया।
रमन बोले—“अजेय टीम के खिलाफ ऐसा पीछा, दिमाग हिला देने वाला था।”
यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, यह महिला क्रिकेट की नई उड़ान थी।
भारत महिला टीम ने अब दिखा दिया है कि वे किसी से कम नहीं।
जेमिमा की फिटनेस, उनकी खुशी फैलाने वाली एनर्जी, और अडिग आत्मबल—सबने टीम को रोशन किया।
अब अगला पड़ाव—2 नवंबर का फाइनल (इंग्लैंड या न्यूज़ीलैंड के खिलाफ)।
25 साल की जेमिमा का सपना है भारत को वर्ल्ड कप जिताना।
और रोहित की आवाज़ अब भी उनके दिल में गूंजती है—“Be ready.”
क्यों जेमिमा की कहानी ज़रूरी है: दबाव नहीं, खुशी से खेलो
क्रिकेट में आँकड़ों और आलोचनाओं के बीच जेमिमा हमें याद दिलाती हैं—खेल की खुशी ही असली जीत है।
बांद्रा से वर्ल्ड कप तक उनकी यात्रा दिखाती है कि दिल से खेलने वाला कभी हारता नहीं।
कोच शेट्टी कहते हैं—“यह सपना सिर्फ उनका नहीं, उनके परिवार और हम सबका है।”
नासिर हुसैन जोड़ते हैं—“अच्छे लोगों के साथ अच्छी चीज़ें होती हैं।”
भारत अब फाइनल में है—और जेमिमा सिर्फ बल्लेबाज़ नहीं, एक उम्मीद की किरण हैं।
इतिहास बनने वाला है।